TULSI DAS

Tulsi Das is a one of the greatest poet of India.Tulsi Das is also known as Goswami Tulsidas.

JAI MATA DI

NAVA DURGA - Sailaputriti , Brahmacarini , Candraghanteti , Kusmandeti , Skandamateti , Katyayani , Kalaratrisca , Mahagauriti , Siddhidatri.

GANPATTI BAPPA MORYA

Vakra-Tunndda Maha-Kaaya , Suurya-Kotti Samaprabha ! Nirvighnam Kuru Me Deva , Sarva-Kaaryessu Sarvadaa !!

LAXMI MATA

Laxmi is the Hindu goddes of wealth and prosperity . Om Shree Mahalakshmyai Cha Vidmahe !Vishnu Patnyai Cha Dheemahi Tanno Lakshmi Prachodayat Om!!

SANT KABIR DAS

Sant Kabir Das is the mystical and great poet of India.Sant Kabir Das was born on 1440.

Tuesday 30 August 2016

TULSI DAS KE DOHE





TULSI DAS JI KE DOHE


 SANT TULSI DAS KE DOHE

तुलसी किएं कुसंग थिति, होहि दाहिने बाम।
कहि सुनि सुकुचिअ सूम खल, रत हरि संकर नाम।।


तुलसी जे की‍रति चहहिं, पर की कीरति खोइ।
तिनके मुंह मसि लागहै, मिटिहि न मरहि धोइ।।

बसि कुसंग चाह सुजनता, ता‍की आस निरास।
तीरथहू को नाम भो, गया मगह के पास।।

सो तनु धरि हरि भजहि न जे नर।
होहि बिषय रत मंद मंद तर।।

बचन बेष क्‍या जानिए, मनमलील नर नारि।
सूपनखा मृग पूतना, दस मुख प्रमुख विचारी।।

राम नाम मनिदीप धरू जीह देहरीं द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजियार।।

काँच किरिच बदलें ते लेहीं।
कर ते डारि परस मनि देहीं।।

बसि कुसंग चाह सुजनता, ता‍की आस निरास।
तीरथहू को नाम भो, गया मगह के पास।।

बसि कुसंग चाह सुजनता, ता‍की आस निरास।
तीरथहू को नाम भो, गया मगह के पास।।


बिना तेज के पुरूष अवशी अवज्ञा होय।
आगि बुझे ज्‍यों रख की आप छुवे सब कोय।।

काम क्रोध मद लोभ की जौ लौं मन में खान।
तौ लौं पण्डित मूरखौ तुलसी एक समान।।

मो सम दीन न दीन हित तुम्‍ह समान रघुबीर।
अस बिचारी रघुबंस मनि हरहु बिषम भव भीर।।

आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह।
तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह।।

सो कुल धन्‍य उमा सुनु जगत पूज्‍य सुपुनीत।
श्रीरघुबीर परायन जेहि नर उपज बिनीत।।

तुलसी किएं कुसंग थिति, होहि दाहिने बाम।
कहि सुनि सुकुचिअ सूम खल, रत हरि संकर नाम।।












Monday 29 August 2016

RAHIM KE DOHE



Rahim ji


                     
                                 BHAGAT RAHIM KE DOHA


रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय। 
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अगाय॥

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥

रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥

वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥

बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥

मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।
फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥

रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥

रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि।
उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥

रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥

फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥
रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि।

जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥
माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि।

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चन्दन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग॥

अब रहीम मुसकिल परी, गाढ़े दोऊ काम। 
सांचे से तो जग नहीं, झूठे मिलैं न राम॥

छमा बड़न को चाहिये, छोटन को उत्पात।
कह ‘रहीम’ हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥

खीरा को मुंह काटि के, मलियत लोन लगाय। 
रहिमन करुए मुखन को, चहियत इहै सजाय॥







SANT KABIR DAS KA DOHA



KABIR DAS

AMRIT WANI OF SANT KABIR DAS

 DUKH MEIN SIMRAN SAB KAREN , SUKH MEIN KARAY NA KOYE
 TO SUKH MEIN SIMRAN KARAY , TO DUKH KAHAY KO HOYE


 AISI VANI BOLIYE , MANN KA AAPA KHOYE 
 APNA TAN SHEETAL KARE ,  AURAN KA SUKH HOYE



BADA HUA TO KYA HUA , JAISE PED KHAJOOR 
PANTI KO CHAYA NAHIN , PHAL LAAGE ATIDOOR


JAISE TIL MEIN TEL HAI , JYON CHAKMAK MEIN AAG 
TERE SAYEEN TUJH MEIN HAI , TU JAAG SAKE TO JAAG


MAYA MARI  NA MUN MARA , MAR MAR GAYE SHAREER
ASHA TRISHNA NA MARI , KEH GAYE DAS KABIR


KABIR KARA BAZAAR MEIN , MANGE SABKI KHAIR
NA KAHU SE DOSTI , NA KAHU SE BAIR


POTHI PADH PADH KAR JAG MUA , PANDIT BHAYA NA KOYE
DHAI AAKHAR PREM KE , JO PADHE SO PANDIT HOYE


CHALTI CHAKKI DEKH KAR , DYA KABIRA ROYA
DO PAATAN KE BEECH MAIN SABIT BACHA NA KOYE


BURA JO DEKHAN MAIN CHALA , BURA NAA MILYA KOYEE
JO MUNN  KHOJA APNAA , TO MUJHSE BURA NAA KOYE


KAAL KARE SA AAJ  KAR , AAJ KARA SO UB
PAL MAIN PRALAYA HOYEG , BEHURI KARAGE KUB 


SAYEEN ITNA DEEJIYE , JA MEIN KUTUMB SAMAYE
MAIN BHI BHOOKHA NA RAHUN , SADHU NA BHOOKHA JAYE


KABIR GARV NA KEEJIYE , UNCHA DEKH AAVAAS
KAAL PARON PUNYAH , OUPER JAMSI GHAAAS


JAB TUM AAYA JAGAT MEIN , LOG HANSE TU ROYE
AISE KARNI NA KARI , PACHE HENSE SAB KOYE


PEHLI AGAN BIRHA KI , PACHHE PREM KI PYAS
KAHE KABIR TUB JANIYE , NAAM MILAN KI AAAS


KABIR SO DHAN SANCHIYE , JO AAGE KO HOYE
SEES CHARAYE POTLI , LE JAAT NA DEKHYA KOYE


EK KAHUN TO HAI NAHIN , DO KAHUN TO GAARI
HAI JAISE TAISA RAHE , KAHE KABIR BICHAARI 

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